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हिन्दी दिवस प्रतियोगिता भाग 18( भोर का सूरज ) लेखनी कहानी -01-Sep-2022

  शीर्षक:- भोर का सूरज
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देखो मेरे लाल भोर हुआ सूरज ने अपनी किरण पसारी है।
धरती भी कैसी सुन्दर केसरिया रंगसे चमकर रही सारी है।।
जैसे धरती को प्रकति ने पहनाई है आज ये सुन्दर सी साडी़।
लाल तुम भी जागो मुँह धोओ तुम क्यौ बनरहे हो अनाडी़।।
देखो पक्षी भी कलरव करते हुए गगन में कैसे उड़ रहे हैं।ज्ञानी जन नदी में नहा  सूरज को जल अर्पित कर रहे है।।
पप्पू जागा लाली जागी अब जाग गया अपना वनवारी ।
अब तक तू  नही जागा अब आई है तेरी जगने की बारी।।


हिन्दी दिवस प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"

17/09/2022



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5 Comments

चमकर नहीं चमक,,,, क्यों,,, रहे हैं not है आदि सही करें

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Wahhh बहुत ही खूबसूरत रचना,,

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Supriya Pathak

17-Sep-2022 11:20 PM

Achha likha hai 💐

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